आँख से कभी किसी का काजल नहीं माँगा करते रूठ जाते हैं तो फिर उनसे "आँचल" नहीं माँगा करते.....!
Thursday 25 July 2013
तू गया कहाँ एक नया पैगाम ले के आ
होंठो पे मय का एक नया जाम ले के आ
कदम तेरे डगमगा जीवन का रूप बयां करें
करूँ मै क्या करूँ यहाँ करे तू क्या करे
मै घर से बहुत दूर मुसीबत में फसा हूँ
पिता से अपने आज तो कुछ दाम ले के आ
दाढ़ी नहीं बनाई है कई रोज से मैंने
कोई तो अपने साथ मे हज्जाम ले के आ
देखा है जब से तुमको बड़ा सर मे दर्द है
जालिम तू आज साथ झंडू बाम ले के आ
-अंकित पटेल "आँचल"
होंठो पे मय का एक नया जाम ले के आ
कदम तेरे डगमगा जीवन का रूप बयां करें
करूँ मै क्या करूँ यहाँ करे तू क्या करे
मै घर से बहुत दूर मुसीबत में फसा हूँ
पिता से अपने आज तो कुछ दाम ले के आ
दाढ़ी नहीं बनाई है कई रोज से मैंने
कोई तो अपने साथ मे हज्जाम ले के आ
देखा है जब से तुमको बड़ा सर मे दर्द है
जालिम तू आज साथ झंडू बाम ले के आ
-अंकित पटेल "आँचल"
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