Thursday 25 July 2013

"तुम्हे छूकर मौसम भी सुहाना हो गया होगा
खुदा भी देखकर तुमको दिवाना हो गया होगा
 तुम्हारा नाम लेकर मन्दिरोँ मे आरती जब भी हुयी 
वो सरगम श्रष्टि का पहला तराना हो गया होगा"
अंकित पटेल "आँचल"


चंहु ओर दीवारों पर तेरा नाम नहीं होता
कुछ किए बिना कोई बदनाम नहीं होता
उस पल ही रुक जाती राहें तेरे जीवन की
गर उसकी उन बातों मे ये मुकाम नहीं होता
- अंकित पटेल "आँचल"
चेहरे की रंगत देखी है जोगी की संगत देखी है
जो कभी नहीं पा पाया मैंने उसकी मन्नत देखी है
तुम मानो या ना मानो लेकिन सच है मेरे साथी
तेरी जुल्फों के साये मे हमने जन्नत देखी है 
-अंकित पटेल "आँचल"
तू गया कहाँ एक नया पैगाम ले के आ 
होंठो पे मय का एक नया जाम ले के आ 
कदम तेरे डगमगा जीवन का रूप बयां करें
करूँ मै क्या करूँ यहाँ करे तू क्या करे
मै घर से बहुत दूर मुसीबत में फसा हूँ 
पिता से अपने आज तो कुछ दाम ले के आ
दाढ़ी नहीं बनाई है कई रोज से मैंने 
कोई तो अपने साथ मे हज्जाम ले के आ
देखा है जब से तुमको बड़ा सर मे दर्द है 
जालिम तू आज साथ झंडू बाम ले के आ
-अंकित पटेल "आँचल"