Saturday 31 October 2015

दोस्त बनकर दगा देने वाले मिले,
लोग भी हमको ऐसे निराले मिले,
ज़िन्दगी को जो समझा तो ऐसा लगा,
जो भी हमको मिले रोने वाले मिले,
- अंकित पटेल  

थोड़ी सी ज़िद थी अपनी थोड़ी सी नादानी थी,
दरिया के उस पार गयी जो कश्ती बड़ी पुरानी थी,
दर्द मिले अहसास मिले कुछ मिले भरोसे वाले भी,
जीत के बाज़ी हार गया बस अपनी यही कहानी थी,
- अंकित पटेल