Friday 29 August 2014

पढ़ाकर गीत की भाषा जिसे सम्बल दिया मैंने,
सुहानी भोर दी जिसको सुहाना कल दिया मैंने,
उसी इंसान ने मुझको बेगाना कर दिया देखो,
ख़ुशी की रात दी जिसको ख़ुशी का पल दिया मैंने,
- अंकित पटेल 

Thursday 28 August 2014

मुफलिसी में हादसों ने घर में ही घर कर दिए,
चन्द पैसों के लिए जो खेत बंजर कर दिए,
एक आँगन के लिए फिर मुकद्दर रो उठा,
ज़ालिमों ने फिर यहाँ दिल जो पत्थर कर दिए,
- अंकित पटेल