मुफलिसी में हादसों ने घर में ही घर कर दिए,
चन्द पैसों के लिए जो खेत बंजर कर दिए,
एक आँगन के लिए फिर मुकद्दर रो उठा,
ज़ालिमों ने फिर यहाँ दिल जो पत्थर कर दिए,
- अंकित पटेल
चन्द पैसों के लिए जो खेत बंजर कर दिए,
एक आँगन के लिए फिर मुकद्दर रो उठा,
ज़ालिमों ने फिर यहाँ दिल जो पत्थर कर दिए,
- अंकित पटेल
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